आज पंचांग 21 अगस्त, 2024
Panchang, an ancient Hindu calendar, holds profound significance in Hindu culture. Derived from the Sanskrit words “Panch” meaning “five” and “Ang” meaning “part,” Panchang refers to the five components that constitute a traditional Hindu calendar: Tithi (lunar day), Vara (weekday), Nakshatra (star), Yoga, and Karana. It serves as a comprehensive guide, offering insights into auspicious and inauspicious timings for various activities, aligning life with celestial energies.
*~आज का हिंदू पंचांग~*
हिंदू पंचांग – 21 अगस्त, 2024
शुभ बुधवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
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__________दैनिक पंचांग विवरण_________
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आज दिनांक………………… 21.08.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………….. उत्तर
ऋतु……………………………………… वर्षा
मास………………………………….. भाद्रपद
पक्ष……………………………………….कृष्ण
तिथि….. द्वितीया. अपरा. 5.07 तक / तृतीया
वार…………………………………… बुधवार
नक्षत्र..पूर्वाभाद्र. रात्रि. 12.34* तक/उ.भाद्रप.
चंद्रराशि………. कुंभ. रात्रि. 7.12 तक / मीन
योग………. सुकर्मा. अपरा. 4.59 तक / धृति
करण………………..तैत्तिल. प्रातः 6.49 तक
करण………. गर. अपरा. 5.07 तक / वणिज
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
श्री सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय…………………. .प्रातः 6.08.51 पर
सूर्यास्त……………………सायं. 6.59.46 पर
दिनमान-घं.मि.सै………………… 12.50.55
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. .11.09.29
चंद्रास्त…………………… 7.33.44 AM पर
चंद्रोदय…………………….8.18.34 PM पर
राहुकाल.अपरा. 12.34 से 2.11 तक(अशुभ)
यमघंट……..प्रातः 7.45 से 9.22 तक(अशुभ)
गुलिक…………. पूर्वा. 10.58 से 12.34 तक
अभिजित….. .मध्या.12.09 से 1.00 (अशुभ)
पंचक………………………………….. जारी है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………. .आज नहीं है
दिशाशूल…………………………. .उत्तर दिशा
दोष परिहार…… .तिल का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं
12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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लग्न …………………..सिंह 3°54′ मघा 2 मी
सूर्य …………………..सिंह 4°16′ मघा 2 मी
चन्द्र ……… .कुम्भ 21°52′ पूर्वभाद्रपद 1 से
बुध *^ ……………… सिंह 0°47′ मघा 1 मा
शुक्र ……….सिंह 25°22′ पूर्व फाल्गुनी 4 टू
मंगल …………वृषभ 26°37′ मृगशीर्षा 1 वे
बृहस्पति ………वृषभ 23°23′ मृगशीर्षा 1 वे
शनि * ……..कुम्भ 23°16′ पूर्वभाद्रपद 1 से
राहू * ……..मीन 14°25′ उत्तरभाद्रपद 4 ञ
केतु * ……………..कन्या 14°25′ हस्त 2 ष
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दिन का चौघड़िया
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लाभ………………प्रातः 6.09 से 7.45 तक
अमृत……………..प्रातः 7.45 से 9.22 तक शुभ……………पूर्वा. 10.58 से 12.34 तक
चंचल……………अपरा. 3.47 से 5.23 तक
लाभ………………सायं. 5.23 से 6.59 तक
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रात्रि का चौघड़िया
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शुभ……………….रात्रि. 8.23 से 9.47 तक
अमृत……………रात्रि. 9.47 से 11.11 तक
चंचल…… रात्रि. 11.11 से 12.35 AM तक
लाभ….. रात्रि. 3.22 AM से 4.46 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
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08.29 AM तक—-पूर्वाभाद्र—-1——-से
01.50 PM तक—-पूर्वाभाद्र—-2——-सो
07.11 PM तक—-पूर्वाभाद्र—-3——–द
__________राशि कुंभ – पाया लौह________
12.34 AM तक—-पूर्वाभाद्र—-4——-दी
05.54 AM तक—उ.भाद्रपद—-1——-दू
उपरांत रात्रि तक—उ.भाद्रपद—-2——-थ
__________राशि मीन – पाया लौह ________
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_____________आज का दिन___________
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व्रत विशेष………. कज्जली एवं सातूड़ी तीज
चंद्रोदय………………………रात्रि. 8.19 पर
अन्य व्रत…………… अशून्य शयन व्रत पूर्ण
अन्य व्रत……………………… फल द्वितीया
पर्व विशेष……………………………. नहीं है
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…… विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस
पंचक……………………………….. जारी है
विष्टि(भद्रा)………….. .रात्रि. 3.26* उपरांत
खगोलीय…………………………….. नहीं है
सर्वा.सि.योग…………………………. नहीं है अमृत सि.योग……………………….. नहीं है
सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है ___________________________________
___अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी___
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दिनांक……………………….22.08.2024 तिथि…………भाद्रपद कृष्णा तृतीया गुरुवार
व्रत विशेष…………….श्रावणी बहुला चतुर्थी
चंद्रोदय………………………रात्रि. 8.54 पर
अन्य व्रत…………… अशून्य शयन व्रत पूर्ण
अन्य व्रत……………………… फल द्वितीया
पर्व विशेष…………………………….नहीं है
समय विशेष….पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष..धर्म हिंसा पीड़ित स्मृति दिवस
दिन विशेष.शरद् ऋतु प्रारंभ.रात्रि. 8.25 पर
पंचक………………………………..जारी है
विष्टि(भद्रा)……………… अपरा. 1.46 तक
खगोलीय….. कन्यायां भानु. रात्रि. 8.25 पर
खगोलीय……….. वक्री बुध. प्रातः 6.38 पर
खगोलीय……. उफायां शुक्र. प्रातः 8.00 पर
सर्वा.सि.योग….. रात्रि. 10.06 से रात्रि पर्यंत अमृत सि.योग……………………….. नहीं है
सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है
_____________आज विशेष ____________
Panchang Today: Aug 21, 2024
पारद शिवलिंग और शालिग्राम शिला पूजन का विशेष महत्त्व क्यों?
पारद शम्भु-बीज है। अर्थात् पारद (पारा) की उत्पत्ति महादेव शंकर के बीज से हुई मानी जाती है। इसलिए शास्त्रकारों ने उसे साक्षात् शिव माना है और पारद लिंग का सबसे अधिक महत्व बताकर इसे दिव्य बताया । शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध होती है। यागभट्ट के मतानुसार, जो पारद शिवलिंग का भक्ति सहित पूजन करता है, उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिंगों के पूजन का फल मिलता है। पारदलिंग का दर्शन महापुण्य दाता है। इसके दर्शन से सैकड़ों अश्वमेध यज्ञ के करने से प्राप्त फल की प्राप्ति होती है, करोड़ों गोदान करने एवं हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान करने का फल मिलता है। जिस घर में पारद शिवलिंग का नियमित पूजन होता है, वहां सभी प्रकार के लौकिक और पारलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है। किसी भी प्रकार की कमी उस घर में नहीं होती, क्योंकि यहा रिद्धि-सिद्धि और लक्ष्मी का वास होता है। साक्षात् भगवान् शंकर का वास भी होता है। इसके अलावा वहां का वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है। प्रत्येक सोमवार को पारद शिवलिंग पर अभिषेक करने पर तांत्रिक प्रयोग नष्ट हो जाता है।
शिव महापुराण में शिवजी का कथन है-
लिंगकोटिसहस्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात् । तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्। ब्रह्महत्या सहस्राणि गौहत्यायाः शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात् ॥
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम् ॥
अर्थात करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है।
शालिग्राम जी
नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने अंडाकार पत्थर, जिनमें एक छिद्र होता है और पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं तथा कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारिया चक के समान पड़ी होती हैं, इनको शालग्राम कहा जाता है।
शालग्राम रूपी पत्थर की काली बटिया विष्णु के रूप में पूजी जाती है। शालग्राम को एक विलक्षण मूल्यवान पत्थर माना गया है, जिसका वैष्णवजन बड़ा सम्मान करते हैं। पुराणों में तो यहा तक कहा गया है कि जिस घर में शालग्राम न हो, वह घर नहीं, श्मशान के समान है। पद्मपुराण के अनुसार जिस घर में शालग्राम शिला विराजमान रहा करती है, वह घर समस्त तीर्थो से भी श्रेष्ठ होता है। इसके दर्शन मात्र से ब्रह्महत्या दोष से शुद्ध होकर अंत में मुक्ति प्राप्त होती है। पूजन करने वालों को समस्त भोगों का सुख मिलता है। शालग्राम को समस्त ब्रह्मांडभूत नारायण (विष्णु) का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव ने स्कंदपुराण के कार्तिक महात्म्य में शालग्राम का महत्त्व वर्णित किया है। प्रति वर्ष कार्तिक मास की द्वादशी को महिलाएं तुलसी और शालग्राम का विवाह कराती हैं और नए कपड़े, जनेऊ आदि अर्पित करती हैं। हिंदू परिवारों में इस विवाह के बाद ही विवाहोत्सव शुरू हो जाते हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृतिखंड अध्याय 21 में उल्लेख मिलता है कि जहां शालग्राम की शिला रहती है, वहां, भगवान् श्री हरि विराजते हैं और वहीं संपूर्ण तीर्थो को साथ लेकर भगवती लक्ष्मी भी निवास करती हैं। शालग्राम शिला की पूजा करने से ब्रह्महत्या आदि जितने पाप हैं, वे सब नष्ट हो जाते हैं। छत्राकार शालग्राम राज्य देने की तथा वर्तुलाकार में प्रचुर संपत्ति देने की योग्यता है। विकृत, फटे हुए, शूल के नोक के समान, शकट के आकार के, पीलापन लिए हुए, भग्नचक्र वाले शालग्राम दुख, दरिद्रता, व्याधि, हानि के कारण बनते हैं। अतः इन्हें घर में नहीं रखना चाहिए।
पुराण में यह भी कहा गया है कि शालग्राम शिला का जल जो अपने ऊपर छिड़कता है, वह समस्त यज्ञों और संपूर्ण तीर्थों में स्नान कर चुकने का फल पा लेता है। शिला की उपासना करने से चारों वेद के पढ़ने तथा तपस्या करने का पुण्य मिलता है। जो निरंतर शालग्राम शिला को जल से अभिषेक करता है, वह संपूर्ण दान के पुण्य तथा पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल का अधिकारी बन जाता है। इसमें संदेह नहीं कि शालग्राम के जल का निरंतर पान करने वाला पुरुष देवाभिलषित प्रसाद पाता है। उसे जन्म, मृत्यु और जरा से छुटकारा मिल जाता है। मृत्युकाल में इसका जलपान करने वाला समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को चला जाता है। शालग्राम पर चढ़े तुलसी पत्र को दूर करने वाले का दूसरे जन्म में स्त्री साथ नहीं देती। शालग्राम, तुलसी और शंख इन तीनों को जो व्यक्ति सुरक्षित रूप से रखता है, उससे भगवान् श्री हरि बहुत प्रेम करते हैं ।
The Relevance of Panchang in Daily Life
In contemporary times, Panchang remains an invaluable tool, guiding millions in making crucial decisions concerning weddings, engagements, travel, business ventures, and religious ceremonies. It’s not merely a calendar but a repository of cosmic wisdom, believed to influence the outcomes of endeavors undertaken during specific astrological configurations.
Tithi: The Lunar Day
Tithi signifies the phase of the moon and plays a pivotal role in determining auspicious timings for rituals and ceremonies. It consists of 30 Tithis, each representing a specific angle between the sun and moon. From Pratipada (first day) to Amavasya (new moon) and Purnima (full moon), each Tithi holds unique significance, impacting human emotions, actions, and spiritual endeavors.
Vara: The Weekday
Vara refers to the days of the week, each associated with a celestial deity. Understanding the influence of different weekdays on specific activities aids in optimizing productivity and success. For instance, Monday, ruled by the moon, is auspicious for initiating new ventures, while Saturday, governed by Saturn, is conducive to spiritual practices and introspection.
Nakshatra: The Lunar Mansion
Nakshatra denotes the 27 lunar mansions traversed by the moon during its monthly cycle. Each Nakshatra exerts a distinct influence on human affairs, influencing personality traits, career choices, and relationship dynamics. By aligning actions with favorable Nakshatras, individuals can enhance prosperity and well-being.
Yoga: The Combination
Yoga signifies the auspicious or inauspicious combinations formed by the positions of the sun and moon. There are 27 Yogas, each associated with unique attributes and effects. Harnessing the energy of propitious Yogas empowers individuals to achieve success and fulfillment in their endeavors.
Karana: The Half of a Lunar Day
Karana represents half of a Tithi and influences the commencement of activities. With 11 Karanas classified into two categories – fixed and movable, it’s crucial to select an appropriate Karana for initiating tasks to ensure favorable outcomes.
Panchang Today: Aug 21, 2024
Tithi Analysis
- Krishna Paksha Dwadashi: Ideal for seeking spiritual enlightenment and engaging in charitable acts.
- Rohini Nakshatra: Favorable for artistic pursuits, creativity, and nurturing relationships.
- Vriddhi Yoga: Conducive for growth-oriented activities and financial investments.
- Taitila Karana: Suitable for activities requiring endurance and perseverance.
Harnessing the Power of Panchang
Incorporating Panchang insights into daily life fosters harmony with cosmic rhythms, enabling individuals to navigate challenges with wisdom and grace. By leveraging the guidance provided by Panchang, one can optimize opportunities for success and fulfillment in all endeavors.
Conclusion
Panchang, with its intricate wisdom and celestial insights, serves as a beacon of guidance in the journey of life. Embracing its teachings empowers individuals to tread the path of prosperity, aligning their actions with cosmic energies for holistic well-being.
Astro Guru Ji
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